भारतीय राजनीति (Indian Politics) में किसानों की आत्महत्या (Farmer Suicide) का मुद्दा लंबे समय से सुर्खियों में रहा है. भारत में विदर्भ (Vidarbha) और बुंदेलखंड (Bundelkhand) इलाकों में किसान आत्महत्या के मामले हर कुछ समय अंतराल के बाद आते रहते हैं. अनिश्चित मॉनसून की वजह से भारतीय किसानों की फसल बर्बाद होती है और फिर लोन उनकी आत्महत्या का कारण बनता है. सरकारें यह कहती रही हैं वो किसानों की मुश्किलें कम करने की दिशा में काम कर रही हैं लेकिन नतीजा सिफर ही रहा है. लेकिन ऐसा नहीं किसानों की समस्याएं और आत्महत्या भारत तक ही सीमित हो. अमेरिका जैसे वैश्विक महाशक्ति देश में भी किसानों की आत्महत्या एक प्रमुख मुद्दा है. हालांकि यह मुद्दा कभी वैश्विक परिप्रेक्ष्य में उभर कर सामने नहीं आया.
अमेरिका में किसानी का संकट
फोर्ब्स मैगजीन में प्रकाशित एक लेख के मुताबिक इस समय अमेरिका में किसान बड़ी दिक्कतों का सामना कर रहे हैं. बीते सालों भीषण बारिश, तूफानों की वजह से किसानों की फसल कई बार खराब हुई हैं. साथ चीन द्वारा अमेरिकी फसलों का आयात बंद किए जाने के बाद ये मुश्किलें और भी पेचीदा हो गई हैं. अमेरिका में मक्का और सोयाबीन की खेती बहुत बड़े पैमाने पर की जाती है. अमेरिका में एक फार्मर फेडरेशन के प्रमुख जिप्पी डुवाल ने चीन द्वारा प्रतिबंध लगाने पर प्रतिक्रिया दी थी कि इससे अमेरिकी किसानों के सामने जीवन-मरण का संकट आ जाएगा.अमेरिका में किसानों की घटती आय और सुसाइड केस बड़ा वर्तमान में बड़ा मुद्दा हैं. अमेरिकी कृषि विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2013 से अब तक वहां कमोडिटी की कीमतों में उतार-चढ़ाव की वजह से किसानों की आय 49 प्रतिशत तक कम हो चुकी है. रिपोर्ट के मुताबिक हालत इतने खराब हैं कि आधे से ज्यादा किसान लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं.
विस्कॉन्सिन में सबसे ज्यादा असर
वैसे तो अमेरिका के कई प्रांतों में किसानों की हालत खराब है लेकिन सबसे ज्यादा असर विस्कॉन्सिन में देखने को मिला है. विस्कॉन्सिन में अकेले 2017 में 915 किसानों ने आत्महत्या की थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यहां के किसानों ने सरकार से और अधिक फंड की मांग की थी लेकिन वो नहीं मिला. गौरतलब है कि साल 2011 से लेकर 2016 तक रिपब्लिकन सांसदों ने राष्ट्रपति बराक ओबामा पर खूब निशाने साधे थे. लेकिन बीते तीन सालों में अमेरिका में रिपब्लिकन सरकार के दौरान किसानों की हालत और ज्यादा खराब ही हुई है.दूसरे धंधों की तरफ रुख कर रहे हैं किसान
अमेरिकी किसानों की हालत वर्तमान में भारतीय किसानों से मेल खाती हुई दिखती है. हम अक्सर मीडिया में खबरें पढ़ते हैं कि किसी किसान ने दूसरा पेशा अपना लिया.