कर्नाटक (Karnataka) के नए वन और पर्यावरण मंत्री बने आनंद सिंह (Anand Singh) चर्चा में हैं. चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि जिन आनंद सिंह को कर्नाटक का वन और पर्यावरण मंत्रालय (Forest And Enviornment Ministry) दिया गया है, उनपर अवैध खनन से लेकर वन से संबंधित अपराध के 15 मामले लंबित है. कर्नाटक की 6 महीने पुरानी बीजेपी की येदियुरप्पा सरकार सवालों के घेरे में है. लोग सवाल कर रहे हैं, जिस नेता पर अवैध खनन और जंगल से संबधित अपराधों के 15 मामले लंबित हो, उसे वन और पर्यावरण मंत्रालय कैसे दिया जा सकता है? इस पर विपक्ष के साथ कर्नाटक के लोकायुक्त ने भी सरकार पर हमला बोला है.
आनंद सिंह कर्नाटक के ताकतवर नेताओं में से गिने जाते हैं. उनका परिवार माइनिंग के बिजनेस से जुड़ा है. बताया जा रहा है कर्नाटक के बीजेपी सरकार में आनंद सिंह को पहले फूड और सिविल सप्लाई मंत्रालय दिया गया था. लेकिन वो इस मंत्रालय का प्रभार लेने को तैयार नहीं हुए. एक दिन बाद ही उनका मंत्रालय बदल दिया गया और उन्हें वन और पर्यावरण मंत्रालय मिल गया.
कर्नाटक के इस विवादास्पद मामले में बीजेपी बुरी तरह से घिरती जा रही है. इस मामले पर डेक्कन क्रॉनिकल से बात करते हुए कर्नाटक के पूर्व लोकायुक्त जस्टिस एन संतोष हेगड़े ने कहा है कि- अंग्रेजी में एक कहावत है. चोर को पकड़ने के लिए एक चोर को लगा दो. मेरा उस शख्स से कोई व्यक्तिगत झगड़ा नहीं है. लेकिन कोई मुझसे उस आदमी के बारे में पूछेगा, जिसने खुद इस बात को स्वीकार किया है कि उसके खिलाफ क्रिमिनल केसेज़ लंबित हैं. मुझे लगता है कि सरकार ने अवैध खनन पर मेरी रिपोर्ट को खारिज कर दिया है. ऐसे किसी इंसान को मंत्रालय देने से पहले जनता का भी ख्याल रखना चाहिए.
वन कानून की गंभीर धाराओ में दर्ज है आनंद सिंह के खिलाफ मुकदमा
द प्रिंट से बात करते हुए कर्नाटक के पूर्व लोकायुक्त जस्टिस हेगड़े का कहना है कि- इस कदम से राज्य सरकार जनता को क्या संदेश देना चाहती है? जस्टिस हेगड़े ने कर्नाटक के बेल्लारी माइनिंग स्कैम का पर्दाफाश किया था. कर्नाटक में 2006-2007 से लेकर 2010-11 के बीच लौह अयस्कों के अवैध खनन की वजह से सरकार को 35 हजार करोड़ का नुकसान पहुंचा था. हेगड़े ने 35 हजार करोड़ के माइनिंग स्कैम को लेकर एसआईटी का गठन किया था और आनंद सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था. लेकिन इसके बावजूद उन्हें बीजेपी की सरकार में वन और पर्यावरण मंत्री बनाया गया है. द प्रिंट से बात करते हुए हेगड़े कहते हैं कि मेरा उनसे कोई झगड़ा नहीं है. मेरा बस इतना कहना है कि क्या उन्हें कोई दूसरा पोर्टफोलियो नहीं दिया जा सकता था.